Friday, 7 October 2016

*"सबकी नज़रों में सुनहरी भोर होनी चाहिए,* *रोज कोशिश रोशनी की ओर होनी चाहिए,* *आसमां जा कर पतंगें भूल जाती हैं जमीं को,* *आपके हाथों में उनकी डोर होनी चाहिए।,* *ज्ञान गीता का भले काम आएगा संग्राम में,* *कृष्ण की नज़रें मगर चितचोर होनी चाहिए,* *तोड़ सकता है अदब सौ मुश्किलों के भी कवच,* *हर कलम पैनी नुकीली कठोर होनी चाहिए"*

*"सबकी नज़रों में सुनहरी भोर होनी चाहिए,*
*रोज कोशिश रोशनी की ओर होनी चाहिए,*

*आसमां जा कर पतंगें भूल जाती हैं जमीं को,*
*आपके हाथों में उनकी डोर होनी चाहिए।,*

*ज्ञान गीता का भले काम आएगा संग्राम में,*
*कृष्ण की नज़रें मगर चितचोर होनी चाहिए,*

*तोड़ सकता है अदब सौ मुश्किलों के भी कवच,*
*हर कलम पैनी नुकीली कठोर होनी चाहिए"*

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