एक पहलवान
जैसा,
हट्टा-
कट्टा,
लंबा-
चौड़ा
व्यक्ति
सामान
लेकर किसी
स्टेशन
पर उतरा।
उसनेँ एक
टैक्सी वाले
से कहा कि मुझे साईँ बाबा के मंदिर जाना है।
टैक्सी वाले नेँ कहा- 200 रुपये लगेँगे। उस पहलवान
आदमी नेँ बुद्दिमानी दिखाते हुए कहा- इतने
पास के दो सौ रुपये, आप टैक्सी वाले तो लूट रहे
हो। मैँ अपना सामान खुद ही उठा कर चला
जाऊँगा।
वह व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर चलता
रहा। कुछ देर बाद पुन: उसे वही टैक्सी वाला
दिखा, अब उस आदमी ने फिर टैक्सी वाले से
पूछा – भैया अब तो मैने आधा से ज्यादा दुरी तर
कर ली है तो अब आप कितना रुपये लेँगे?
टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- 400 रुपये।
उस आदमी नेँ फिर कहा- पहले दो सौ रुपये, अब
चार सौ रुपये, ऐसा क्योँ।
टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- महोदय, इतनी देर
से आप साईँ मंदिर की विपरीत दिशा मेँ दौड़
लगा रहे हैँ जबकि साईँ मँदिर तो दुसरी तरफ है।
उस पहलवान व्यक्ति नेँ कुछ भी नहीँ कहा और
चुपचाप टैक्सी मेँ बैठ गया।
इसी तरह जिँदगी के कई मुकाम मेँ हम किसी चीज
को बिना गंभीरता से सोचे सीधे काम शुरु कर
देते हैँ, और फिर अपनी मेहनत और समय को बर्बाद
कर उस काम को आधा ही करके छोड़ देते हैँ।
किसी भी काम को हाथ मेँ लेनेँ से
पहले पुरी तरह सोच विचार लेवेँ कि क्या जो
आप कर रहे हैँ वो आपके लक्ष्य का हिस्सा है कि
नहीँ।
हमेशा एक बात याद रखेँ कि दिशा सही होनेँ
पर ही मेहनत पूरा रंग लाती है और यदि दिशा
ही गलत हो तो आप कितनी भी मेहनत का कोई
लाभ नहीं मिल पायेगा। इसीलिए दिशा तय
करेँ और आगे बढ़ेँ कामयाबी आपके हाथ जरुर
थामेगी।
Wednesday, 2 September 2015
Motivational
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